Chanakya Ka Jiwan Parichye🙏|| चाणक्य का जीवन परिचय | biography 2023

Chanakya


चाणक्य का जीवन परिचय -


जन्म (Birthday)350 ईसा पूर्व (अनुमानित स्पष्ट नहीं है)
मृत्यु की तिथि (Death)275 ईसा पूर्व, पाटलिपुत्र, (आधुनिक पटना में) भारत

आचार्य चाणक्य जो कि विष्णुगुप्त और कौटिल्य के नाम से प्रसिद्ध हैं। वे एक महान दार्शनिक, अर्थशास्त्री और राजनेता थे उन्होंने भारतीय राजनीतिक ग्रंथ, ‘ द अर्थशास्त्र’ लिखा था।

इस ग्रंथ में उन्होंने संपत्ति, अर्थशास्त्र और भौतिक सफलता के संबंध में उस समय तक के लगभग हर पहलू को भारत में लिखा था। राजनीतिक विज्ञान और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में विकास के लिए किए गए उनके महत्वपूर्ण योगदान की वजह से उन्हें इस क्षेत्र का विद्धान और अग्रणी माना जाता है।

आचार्य चाणक्य के महान विचारों को अगर अपने जीवन में उतार लिया जाए तो वाकई हमारा जीवन सफल हो सकता है। आचार्य चाणक्य ने अपनी बुद्धिमत्ता और कुशाग्र विचारों से कूटनीति और राजनीति की बेहद सरल व्याख्या की है । भारतवर्ष में चाणक्य को एक समाज का सेवक और विद्वान माना जाता हैं।

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चाणक्य की शिक्षा-दीक्षा-


महान विद्धान चाणक्य की शिक्षा-दीक्षा प्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय में हुई थी। वे बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा के धनी और एक होनहार छात्र थे उनके पढ़ने में गहन रूचि थी। वहीं कुछ ग्रंथों के मुताबिक चाणक्य ने तक्षशिला में शिक्षा ग्रहण की थी।

आपको बता दें कि तक्षशिला एक उत्तर-पश्चिमी प्राचीन भारत में शिक्षण का प्राचीन केंद्र था। ब्राह्मण परिवार में पैदा हुए, चाणक्य को अर्थशास्त्र, राजनीति, युद्ध रणनीतियों, दवा, और ज्योतिष जैसे कई विषयों की अच्छी और गहरी जानकारी थी। वे इन विषयों के विद्धान थे।

यह भी माना जाता है कि वे ग्रीक और फारसी भी जानते थे। इसके अलावा उन्हें वेदों और साहित्य का अच्छा ज्ञान था। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वे तक्षशिला में राजनीतिक विज्ञान और अर्थशास्त्र के प्रोफेसर बन गए उसके बाद वे सम्राट चंद्रगुप्त के भरोसेमंद सहयोगी भी बन गए थे।

वे घटनाएं जिन्होनें चाणक्य का जीवन ही बदल दिया-


चाणक्य एक कुशल और महान चरित्र वाले व्यक्ति थे इसके साथ ही वे एक महान शिक्षक भी थे। अपने महान विचारों और महान नीतियों से वे काफी लोकप्रिय हो गए थे उनकी ख्याति सातवें आसमान पर थी लेकिन इस दौरान ऐसी दो घटनाएं घटी की आचार्य चाणक्य का पूरा जीवन ही बदल गया।

• पहली घटना – भारत पर सिकंदर का आक्रमण और तात्कालिक छोटे राज्यों की ह्रार।
• दूसरी घटना – मगध के शासक द्वारा कौटिल्य का किया गया अपमान।


चाणक्य और चन्द्रगुप्त-


चाणक्य और चंद्रगुप्त का गहरा संबंध है। चाणक्य चंद्रगुप्त के सम्राज्य के महामंत्री थे और उन्होनें ही चंद्रगुप्त का सम्राज्य स्थापित करने में उनकी मद्द की थी।

दरअसल नंद सम्राज्य के शासक द्धारा अपमान के बाद चाणक्य अपनी प्रतिज्ञा को सार्थक करने के निकल पड़े। इसके लिए उन्होनें चंद्रगुप्त को अपना शिष्य बनाया। चाणक्य उस समय चंद्रगुप्त की प्रतिभा को समझ गए थे इसलिए उन्होनें चंद्रगुप्त को नंद सम्राज्य के शासक से बदला लेने के लिए चुना।

जब चाणक्य की चंद्रगुप्त मौर्य से मुलाकात हुई तब चंद्रगुप्त महज 9 साल के थे। इसके बाद चाणक्य ने अपने विलक्षण ज्ञान से चंद्रगुप्त को अप्राविधिक विषयों और व्यावहारिक तथा प्राविधिक कलाओं की शिक्षा दी।

वहीं आपको बता दें कि चाणक्य ने चंद्रगुप्त को चुनने का फैसला इसलिए भी लिया क्योंकि उस समय कुछ मुख्य शासक जातियां ही थी जिसमे शाक्य, मौर्य का प्रभाव ज्यादा था। वहीं चन्द्रगुप्त उसी गण के प्रमुख का पुत्र था। जिसके बाद चाणक्य ने उसे अपना शिष्य बना लिया, और उनके साथ एक नए सम्राज्य की स्थापना की।


चाणक्य के राज्य के शासक को लेकर विचार:


विलक्षण प्रतिभा के धनी और महान विद्धान चाणक्य, अपने महान विचारों और ज्ञान के बल पर पर कहत थे कि प्रजा के सुख में ही राजा का सुख होना चाहिए और प्रजा के हित में ही राजा का हित निहित होना चाहिए। इसके लिए राज्य के शासक को इसके लिए पहले ही शिक्षित किया जाना चाहिए ताकि वो एक अच्छे राज्य का निर्माण करने योग्य बन सके और राज्य का विकास कर सके।

चाणक्य के मुताबिक एक अच्छे शासक बनने की प्रक्रिया मुंडन संस्कार से शुरू कीजानी चाहिए और सबसे पहले राज्य के शासक को वर्णमाला और अंकमाल का अभ्यास कराना चाहिए वहीं जब शासक को इसकी समझ हो जाए तब उसे दंडनीति का ज्ञान कराया जाना चाहिए।

तभी वह एक कुशल शासक बन सकता है। चाणक्य ने अपनी इन्हीं नीतियों से चंद्र गुप्त मौर्य को बाल्यकाल से ही एक अच्छे शासक के रुप में शिक्षित किया था।

धन्येबाद इस article से आपको थोरा भी मदद मिला होगा तो!! 🙏

Praveen singh

I am Praveen Kumar Singh and i am studying in engineering college this is my 2sem .

Hi.
Thanku❤ for reading Artical.

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